मुझे-पता-था-कि-मैं-उस-दिन-जेल-जाऊंगी

Sonbhadra, Uttar Pradesh

Jan 04, 2019

‘मुझे पता था कि उस दिन मैं जेल भेज दी जाऊंगी...’

आदिवासी जब अपनी ज़मीन और वन अधिकारों के लिए लड़ते हैं, तो उन्हें कारावास का सामना करना पड़ता है. यह यूनियनर्ष विशेष रूप से महिलाओं के लिए बहुत कठिन होता है - जैसा कि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले की राजकुमारी और सुकालो के साथ हुआ

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Author

Sweta Daga

स्वेता डागा, बेंगलुरु स्थित लेखक और फ़ोटोग्राफ़र हैं और साल 2015 की पारी फ़ेलो भी रह चुकी हैं. वह मल्टीमीडिया प्लैटफ़ॉर्म के साथ काम करती हैं, और जलवायु परिवर्तन, जेंडर, और सामाजिक असमानता के मुद्दों पर लिखती हैं.

Translator

Qamar Siddique

क़मर सिद्दीक़ी, पीपुल्स आर्काइव ऑफ़ रुरल इंडिया के ट्रांसलेशन्स एडिटर, उर्दू, हैं। वह दिल्ली स्थित एक पत्रकार हैं।

Editor

Sharmila Joshi

शर्मिला जोशी, पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर कार्यकारी संपादक काम कर चुकी हैं. वह एक लेखक व रिसर्चर हैं और कई दफ़ा शिक्षक की भूमिका में भी होती हैं.