भंइसी-मन-के-लहुटत-तक-अटके-जबर्रा-के-मरकाम-के-साँस

Dhamtari, Chhattisgarh

May 19, 2022

भंइसी मन के लहुटत तक अटके जबर्रा के मरकाम के साँस

विशालराम मरकाम के मयारू भंइसी मन छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िला के घनघोर जंगल मं चरे बर अपन आप एती-वोती किंदरत रहिथें. संझा तक ले लहुट आथें फेर भूखाय जंगली जानवर मन के खतरा हर घड़ी बने रहिथे

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Author

Purusottam Thakur

पुरुषोत्तम ठाकुर 2015 परी फेलो आय.वो हा पत्रकार अउ वृत्तचित्र फिल्म निर्माता आय. ये बखत अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के संग काम करत हंवय.समाज के परिवर्तन बार कहिनी लिखत हंवय.

Author

Priti David

प्रीति डेविड पीपल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया के कार्यकारी संपादक आंय. वो ह जंगल, आदिवासी अऊ जीविका के मुद्दा ला लेके लिखथें. वो ह पारी एजुकेसन के घलो अगुवई करत हवंय अऊ गाँव के समस्या मन ला कक्षा अऊ पाठ्यक्रम मं लाय बर गुरूजी मन के संग काम करत हवंय.

Translator

Nirmal Kumar Sahu

निर्मल कुमार साहू पारी के छत्तीसगढ़ी अनुवाद संपादक आंय. पत्रकार अऊ अनुवादक के रूप मं वो ह छत्तीसगढ़ी अऊ हिंदी दूनों भाखा मं काम करत हवंय. निर्मल ला छत्तीसगढ़ के प्रमुख समाचार पत्र मन मं तीन दसक के अनुभव हवय अऊ वो ह ये बखत देशडिजिटल न्यूज़ पोर्टल के प्रधान संपादक हवंय.