बांसवाड़ा में औरतों को कुर्सी पर बैठने से कौन रोकता है?
राजस्थान और भारत के अन्य हिस्सों के अनेक गांवों में महिलाएं ज़मीन पर बैठने की परंपरा से बंधी हुई हैं. बांसवाड़ा ज़िले के तीन गांवों की महिलाओं से ख़ासी मिन्नत करनी पड़ी, तब जाकर वे कुर्सी या चारपाई पर बैठकर फ़ोटो खिंचवाने के लिए राज़ी हुईं. उनके लिए यह घटना एक तरह का प्रतीकात्मक उत्थान है
नीलांजना नंदी, दिल्ली में रहने वाली एक विजुअल आर्टिस्ट और एजुकेटर हैं. उन्होंने अनेक कला प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया है, और अन्य छात्रवृत्तियों के अतिरिक्त उन्हें फ़्रांस के पोंट-एवेन स्कूल ऑफ़ आर्ट से भी छात्रवृत्ति मिल चुकी है. उन्होंने बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के फ़ाइन आर्ट्स संकाय से मास्टर्स डिग्री की उपाधि प्राप्त की है. स्टोरी में शामिल तस्वीरें राजस्थान में कलाकारों के लिए आयोजित ‘इक्विलीब्रियम’ नामक आवासीय प्रोग्राम के दौरान ली गई थीं.
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Sharmila Joshi
शर्मिला जोशी, पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर कार्यकारी संपादक काम कर चुकी हैं. वह एक लेखक व रिसर्चर हैं और कई दफ़ा शिक्षक की भूमिका में भी होती हैं.
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Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.