अब्दुल रहमान, जो तक़रीबन चालीस सालों तक मुंबई और भारत के बाहर के देशों में टैक्सी और बुलडोज़र चलाने का काम करते रहे, इन दिनों अपनी बीमारी के कारण बहुत दयनीय स्थिति में हैं. बेशुमार ख़र्चों और अस्पताल के चक्कर लगाते रहने की वजह से वह और उनका परिवार डर और उम्मीद की मानसिकता के बीच निरंतर जूझ रहे हैं
शर्मिला जोशी, पूर्व में पीपल्स आर्काइव ऑफ़ रूरल इंडिया के लिए बतौर कार्यकारी संपादक काम कर चुकी हैं. वह एक लेखक व रिसर्चर हैं और कई दफ़ा शिक्षक की भूमिका में भी होती हैं.
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Prabhat Milind
प्रभात मिलिंद, शिक्षा: दिल्ली विश्विद्यालय से एम.ए. (इतिहास) की अधूरी पढाई, स्वतंत्र लेखक, अनुवादक और स्तंभकार, विभिन्न विधाओं पर अनुवाद की आठ पुस्तकें प्रकाशित और एक कविता संग्रह प्रकाशनाधीन.