ओ पत्थरों के देश: ‘तुमने मुझे पत्थर उठाने पर मजबूर किया’
यही उस कविता का शीर्षक है जिसे सुयश कांबले ने इस वर्ष 1 जनवरी को भीमा कोरेगांव में हिंसा देखने के बाद नाराज़गी और पीड़ा में लिखी थी. कोल्हापूर ज़िले के शिरदवाड गांव का यह 20 वर्षीय दलित कवि एक पत्रकार बनना चाहता है, क्योंकि उसके मुताबिक़, ‘...एक अच्छा पत्रकार कभी चुप नहीं रहेगा’