हमन डोंगरी अऊ खेत मन मं हाथी के पांव के चिन्हा ला खोजत किंजरत रहेन.

हमन ला मिलिस ओदा भूईंया मं थारी ले बड़े चिन्हा.जुन्ना चिन्हा मन धीरे-धीरे उधरे ला धरत रहिस. दूसर गऊर करे चीज. जेन ह ये जानवर के आरो करत रहिस तेन मन मं मनमाफिक अच्छा खाना अऊ अब्बड़ अकन लीद. ओकर पांव के आगू मं आय पथरा के खंभा, तार बाड़ा, रुख-रई, गेट ह बिखरे परे रहिस...

हमन हाथी के ये जम्मो फोटू लेय ला छोड़ दें. मंय अपन सम्पादक करा हाथीपाँव के चिन्हा के फोटू ला भेजेंय. वोहा उम्मीद ले भरे जवाब देवत कहिथे, “उहाँ हाथी आय रहिस होही? मंय मनौती करत रहेंव के ओकर उम्मीद के मुताबिक झन होवय.

काबर के कृष्णागिरि जिले के गंगानहल्ली बस्ती मं मंय सुने रहेंव, इहाँ के हाथी मन के आशीष देय सेती केला मांगे के कउनो सम्भावना नई ये. मंदिर के हाथी मन के रोज के अइसने रोज के आदत हो सकत हे. ये वोमन के जंगल मं रहैइय्या कका-बड़ा के भाई आंय अऊ जियादा करके ये मन भूखाय रथें.

मंय दिसंबर 2021 मं तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले के रागी कमैइय्या किसान मन ले भेंट होय बर गेय रहेंय, अऊ मंय बिनचाहे हाथी के रद्दा डहर आगेंव. मंय सोचत रहेंव के ओमन ले खेती ला लेके चर्चा होही, कुछु अइसने रहिस. मंय सुने रहेंव के खेतन मन मं अपन घर बर वो मन बहुतेच रागी कमावत हवंय, फेर देखेंव वो मन के हिस्सा मं हाथी ले जियादा नई आवत रहिस. कमती कीमत (35 ले 37 के जगा 25 ले 27 रुपिया किलो) बदले मौसम, भारी  बरसात के बीच एला कमाना कठिन आय अऊ ओकर ऊपर हाथी के सूंड अऊ दांत किसान के  कनिहा ला टोर दे हे.

आनंदरामु रेड्डी बताथे, "हाथी अब्बड़ हुसियार होथे“ वो मन सिख गे हंवय के कइसने बाड़ा रस्सी अऊ तार ला धरना हे, वो मन बिजली बाड़ा के तोड़ घलो जानथें, बिजली बाड़ा ला रुख-रई ले शॉर्ट-सर्किट कर देथें, वो मन ला हमेशा गोहड़ी बना के देखे जा सकत हे. आनंद हा डेंकानिकोट्टई तालुक के वाड्रा पलयम के एक झिन किसान आय जेन हा हमन ला मेलागिरी रिजर्व फॉरेस्ट इलाका के तीर तक ले ले जाथे. ये हा कावेरी उत्तर वन्यजीव अभयारण्य के हिस्सा आय.

The large footprint of an elephant.
PHOTO • M. Palani Kumar
Damage left behind by elephants raiding the fields for food in Krishnagiri district
PHOTO • M. Palani Kumar

डेरी: एक हाथी के बड़े अकन  पाँव के चिन्हा. जउनि : कृष्णागिरि जिला मं  खाय सेती खेत मं धावा बोल हाथी मन के करे नुकसान

कतको बछर ले हाथी जंगल ले निकल के खेत मं आवत हवंय. पचीडरम के गोहड़ी रागी के फसल ला खाके अऊ बचे खुचे ला रौंदत गांव मन मं चले जात रहिन. एकर सेती किसान मन एकर जगा पताल, गेंदा, गुलाब जिसने खेती ला अपनाय ला लगीन. वो मन के मानना आय के बजार मं एकर दाम मिलथे अऊ हाथी मन घलो ये ला नई खाये. “2018-19 मं बिजलीबाड़ा आय के बाद ले हाथी गोहड़ी नई आवत हे फेर कुछु नई होईस.”

वो हा मोला धीरज धराथे, “एंर्रा हाथी मन ला रोकव, मोट्टाई वाल, मखाना, गिरी...फेर ओमन के भूख वो मन ला हमर खेत मन मं ले आथे.”

तमिलनाडु के कृष्णागिरी अऊ धर्मपुरी जिला के मानद वन्यजीव वार्डन एस.आर. संजीव कुमार कहिथे “उत्तम जंगल, मनखे-हाथी लड़ई के माई कारन मन ले एक आय." एक अनुमान के मुताबिक अकेल्ला कृष्णागिरी मं 330 गांव ये समस्या ले जुझत हवंय.

मोर ये इलाका के घूमे ला आय के बाद एक ठन जूम कॉल मं संजीव कुमार जेन ह केनेथ एंडरसन नेचर सोसाइटी (केएएनएस), एक ठन वन्यजीव संरक्षण एनजीओ के संस्थापक अऊ पूर्व अध्यक्ष घलो आय – कुछेक जानकारी दीस। स्क्रीन मं हाथी के अकार बरोबर करिया धब्बा अचंभित कर देथे. वो हा कहिथे, “ये हरेक करिया धब्बा हरेक गाँव ला बताथे जिहां ये लड़ई होवत रथे, अऊ ये आंकड़ा फसल नुकसान के दावा ले लेय गे हवय.

पूर्वोत्तर मानसून के ठीक बाद जब फसल लुये बर तियार हो जाथे त हाथी मन हमला करथें. “हर बछर 12 -13 मनखे मारे जाथें (कृष्णागिरी जिला मं) दिसंबर अऊ जनवरी मं ये ह जियादा रथे. खासकर के रागी लुये के बखत हाथी घलो मारे जाथें. “बदला मं, एकर अलावा पटरी, सड़क के हादसा मं धन खुल्ला चूंआ मं गिरे ले अऊ बरहा सिकार सेती लगाय गेय करंट के चपेटा मं आके मारे जाथें.”

संजीव बताथे, “हाथी मन सैकड़ा ले जियादा किसिम के कांदी, रुख-राई, डारा-पाना ला खाथें, पकड़े-धरेगे हाथी मन के निगरानी करत हमन देखथन के ये मन दू सो किलो कांदी अऊ दू सो लीटर पानी पी डारथें. फेर, जंगल मं अलग-अलग मौसम मं एकर मात्रा अलग-अलग होथे एकर सेती वो मन के सरीर घलो अलग-अलग हो सकत हे.

In this photo from 2019, Mottai Vaal is seen crossing the elephant fence while the younger Makhna watches from behind
PHOTO • S.R. Sanjeev Kumar

2019 मं खींचे ये फोटू मं मोट्टाई वाल हाथीबाड़ा ला पार करत दिखत हवय अऊ छोटे मखना पाछू ले देखत हवय

ये मन ला छोड़, छतियानासी (लेनटाना केमरा) हासुर जंगल के 85 ले 90 फीसदी इलाका मं बगरे हे. ये फूलवाला पौधा हा तेजी ले जामत बगरथे जेन ला गाय, बकरी धन मवेशी मन नई खावें. बांदीपुर अऊ नागरहोल मं घलो अइसनेच हवय. सफारी के रद्दा ले छतियानासी ला साफ कर दे गे हवय जेकर ले हाथी उहाँ कांदी खाय बर आंय अऊ वोमन ला देखे जा सकय.”

छतियानासी हा हाथी मन के जंगल ले निकले के माई कारन आय, संजीव के तर्क आय. एकर अलावा रागी के रसदार सुवाद हाथी मन ला लुभाथे. “मंय घलो हाथी होतेंव त खाय ला आतेंव.” मरद हाथी खासकर येला खाय बर धावा बोल देथे. काबर के 25 ले 35 बछर के उमर ह ये मन के तेजी ले बाढ़े के रइथे, येहिच मन आंय जेन मन अतका आफत मोल ले लेथें.

फेर मोट्टाई वाल नहीं। ये ह सियान आय अऊ अपन सीमा ला जानथे. संजीव ला लागथे के वो हा 45 पार अऊ 50 के तीर हे, वो हा वोला 'सबले मयारू' हाथी कहिथे. "मंय एक ठन वीडियो देखेंव जेन मं वो हा मस्त हे." (मस्त ह मरद हाथी मन के एक ठन जैविक अऊ हार्मोनल वृद्धि ले संबंधित हालत आय जेन ला सामान्य अऊ स्वस्थ दूनो माने जाथे, एकर मतलब ये घलो आय के वो मन दू-तीन महिना उतइल हो सकत हवंय)" आमतउर ले वो मन हिंसक हो सकत हवंय, फेर मोट्टाई वाल अब्बड़ सांत रहिस. वो हा कतको जुग ले हाथी मन के गोहड़ी मं रहिस अऊ कलेचुप कोंटा मं ठाढ़े रहिस. वो हा दुनिया देखे हवय.”

संजीव के अनुमान के मुताबिक वो हा 9.5 फीट ऊँचा होही, वजन 5 टन. “वोकर एक विस्वास के संगी हवय, माखाना, अऊ वो मन अपन जांवर जोड़ी मन संग मस्ती करथें.का ओकर लइका मन होंही, मंय पुछ्थों. संजीव हँसत कहिथे, “बहुतेच अकन होना चाही.”

अब जब अतक बिकास हो गे हे त हाथी मन काबर खेत मं धावा बोलथें? संजीव कुमार ये ला मोट्टाई वाल के सरीर के जरूरत ले जोर देथे. “वोला इहाँ आके बहुत बढ़िया खाय ला मिलथे - रागी, पनस, आम - अऊ खा के जंगल लहुंट जाथे.” अऊ दूसर मरद हाथी मन गोभी, बीन्स, फूलगोभी खाथें. जेन हा बिदेसी किस्म के आय अऊ जेन ला उगाय मं कीटनासक बऊरे जाथे, संजीव कहिथे.

"तीन बछर पहिली ये बखत ह बनेच खराब रहिस. पताल अऊ बीन्स कमैइय्या किसान मन ला भारी घाटा उठाय ला परिस. हाथी जतक खाथे तेकर पांच गुना जियादा नुकसान करथे.” जियादा ले जियादा किसान मन अइसने फसल लगाय ला सुरु करथें जेन हा हाथी ला झन लुभावे. मोट्टाई वाल अऊ ओकर संगवारी मन इलाका के खेती करे ला बदल देवत हवंय.

A rare photo of Mottai Vaal, in the Melagiri hills
PHOTO • Nishant Srinivasaiah

मेलागिरी डोगरी मं  मोट्टाई वाल के एक ठन अनदेखेइय्या फोटो

कतको बछर ले हाथी जंगल ले निकल के खेत मन मं आवत हंवय. पचीडरम के गोहड़ी रागी ला खाय के बाद गाँव मं आ जावत रहिन

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'हमन ला पहिली मुआवजा मिलत रहिस. अब अफसर मन फोटू खिंचथें  फेर हमन ला कऊनो  पईसा नई मिलय'
गंगनहल्ली के गुमलापुरम गांव के किसान विनोदम्मा

गोपी शंकरसुब्रमणि अइसन चुनिंदा लोगन मन ले एक झिन आय जेन ह मोट्टाई वाल ले एकदम पास ले मिले हवय. गोलापल्ली ले आधा घंटा के रद्दा मं बसे गैर-लाभकारी संगठन नवदर्शनम जिहां हमन अपन पहुनईय्या गोपकुमार मेनन के रहत हवन तिहां एक दिन सुत बिहनिया अपन कुरिया के फेरका ला खोलिस.

गोपी ह जेन संगवारी ला देखे के उम्मीद करे रहिस तेन ह एक हाथी रहिस लंबा-चऊड़ा अऊ लजकुरिया. मोट्टाई वाल जेन ह तुरते आंखी ले ओझल होगे. डोंगरी मं बने अपन सुंदर घर के परछी मं बइठे गोपी हमन ला कतको कहिनी सुनाथे. कुछु रागी के त बाकी हाथी मन के.

एयरोस्पेस इंजीनियर गोपी ह तकनीकी ला छोड़ अनाज उगाय डहर आगे हवय. वो हा गुमलापुरम के गंगनहल्ली गांव मं नवदर्शनम ट्रस्ट के 100 एकड़ जमीन मं कतक बछर ले रहत काम करत हे. ये ट्रस्ट ह इहाँ के रहैय्या, देखे अवैय्या अऊ कार्यशाला के सहयोग ले चलथे. "हमन बड़े योजना नई बनावन, हमर करा बड़े बजट नई ये, हमन येला सुभीता के अऊ छोटे रखे के कोसिस करथन.” वो मन के काम मं सबले बढ़िया सहकारी समिति हवय जेन मं तिर-तिखार के गाँव के बासिन्दा मन सामिल हवंय. छोटे जोत अऊ साल भर मं खेती के कुछेक महिना लागथे, जिए-खाय बर ओ मन ला जंगल के आसरा रहे ला परय.

गोपी कहिथे, हमन 30 घर जेन मं सबले जियादा गगनहल्ली गाँव ले रहिन तेन मन ला जगह अऊ अनाज ला गुणवत्ता पूर्ण बनाय के जानकारी देन, अऊ आज वो मन ला जंगल जाय के परम्परा ले दूर कर दे हवन. अब ये मन के घर मं सबले जियादा  रागी कमाय जाथे, जेन हा बांचथे तेन ला बेचे जाथे.

12 बछर ले नवदर्शनम मं काम करत गोपी हा जेन चिन्हारी बदलाव देखे हे वो ह रागी के किसम आय - देशी ले लेके कमती दिन के संकर किसम तक, जेन ला 4-5 महिना ले 3 महिना कर दे गे हवय. सूखा जमीन मं जेन फसल जतके जियादा दिन रथे तेन ह ओतकी पौष्टिक होथय. नतीजा ये होथे के मनखे ह रागी के एक के बदले दू कऊरा खा लेथे. "ये हा एक ठन  बड़ा अंतर आय."

Gopi Sankarasubramani at Navadarshanam's community farm in Ganganahalli hamlet of Gumlapuram village.
PHOTO • M. Palani Kumar
A damaged part of the farm
PHOTO • M. Palani Kumar

डेरी: गुमलापुरम के गंगानहल्ली गांव मं नवदर्शनम के सामुदायिक खेत मं गोपी शंकरसुब्रमणि। जउनि: खेत के टूटे हिस्सा

फेर किसान ह तेजी ले उगे फसल ला छोड़ देथे काबर के ये ह जियादा दिन तक ले रखे नई जा सकय. एकरे साथ बजार मं घलो एकर मनमाफिक दाम नई मिलय. गोपी कहिथे, ''एकर अलावा, किसान मन ला अपन खेती मं तालमेल बिठाय ला लगही,” फेर सब्बो झिन मिलके रखवारी करत हंवय और कोनो एक कोंटा ले नारियावत हवय अऊ दूसर कोंटा मं त फसल ला हाथी ले दूर रखे जा सकत हवय. फेर सब्बो मन अपन फसल लू ले हवंय त हाथी तोर करा आही...”

हमार बातचीत सुंदर पक्षी मन के अवाज के संग रुक जाथे. सिटी बजत हावय,हँसत-गावत हंवय, मानो जइसने वो मन घलो जंगल के अपन बात ला रखे ला चाहत हंवय.

मंझनिया खाय के बाद हमन ला पालक के झोर संग रागीमुड्डे - कुरकुरा मूंगफली अऊ रागी के लाडू परोसे जाथे. ये ला दू माई लोगन - विनोधम्मा अऊ बी मंजुला - बनाय रहिन ये मन कन्नड़ मं बोलत रहिन (जेन ला मोला गोपी हा अनुवाद करके बतावत रहिस). वो मन बताथे बरसात अऊ हाथी के बीच हमर बनेच अकन रागी खतम होगे.

हमन ला वो मन बताथें, वो मन रोज रागी खाथें, अऊ लईका मन ला घलो खवाथें, जब तक ले वो मन भात खाय ला सुरु नई करंय. बाजरा ला साल भर सेती कोठी मं भर लेथें अऊ जरुरत के मुताबिक बऊरथें, फेर ये बछर फसल खराब होय के सेती ये ला आगू बोय मं मुस्किल होवत रहिस.

ये दूनो माईलोगन मन नवदर्शनम के तीर के गंगनहल्ली गांव के रहैय्या आंय अऊ मंझनिया खा के अभिचे - अभिचे लहूँटे हंवय. विनोधम्मा करा 4 एकड़ अऊ बी मंजुला करा डेढ़ एकड़ खेत हवय जेन मं रागी, धान, फल्ली अऊ सरसों कमाथे. मंजुला कहिथे, जब बेमौसम बरसात हो जाथे त खेत मं खड़े रागी बीजा मं जरी आ जाथे. अऊ फसल बरबाद हो जाथे .

एकर ले बचे बर विनोधम्मा के परिवार हा जल्दी मशीन ले लुये अऊ मिझे के फइसला करे हे. वो हा हाथ ले हवा मं इसारा करथे, अऊ ओकर हावभाव ह भासा के समझ मं कमी ला खतम कर देथे.

जानवर-मइनखे के लड़ई बाबत ओकर पीरा बिना अनुवाद के झलक जाथे. “पहिले हमन ला मुआवजा मिलत रहिस. अब वो (अफसर) मन फोटू खींचथें, फेर हमन ला कोनो पइसा मिलत नई ये.”

Manjula (left) and Vinodhamma from Ganganahalli say they lose much of their ragi to unseasonal rain and elephants
PHOTO • M. Palani Kumar
A rain-damaged ragi earhead
PHOTO • Aparna Karthikeyan

डेरी: गंगानहल्ली के मंजुला (डेरी) अऊ विनोदम्मा के कहना आय के बेमौसम बरसात अऊ हाथी मन के सेती अपन रागी के बनेच अकन हिस्सा गंवा देथें. जउनि: बरसात ले रागी मं  जरी पर गे

एक ठन हाथी कतक खा सकत हवय? बहुतेच जियादा, गोपी कहिथे. सुरता करत कहिथे, एक घाओ दू हाथी दू रात मं 10 बोरी रागी खा गिन जेकर कीमत 20 हजार ले जियादा रहिस. “एक हाथी एक पईंत मं एक कोरी एक पनस अऊ गोभी...”

फसल बचाय बर किसान के नींद उड़ा गे हे. गोपी सुरता करथे, रागी के बखत दू बछर तक ले मचान मं बैइठे रात-रात भर हाथी के निगरानी करत रहिस. वो हा कहिथे, ये हा कठिन जिनगी आय, अऊ बिहनिया तंय मात दे देथस. नवदर्शनम के लगालगी के संकेरा अऊ घुमाव भरे सड़क मं हमन ला कतको मचान देखे ला मिलथे. कोनो पक्का हवय, कोनो अलवा जलवा तियार हे. फेर सब्बो मं टीन के डब्बा ले बने घंटी लगे हे जेन मं लगे रस्सी ला खिंच के बजा के दूसर ला हाथी आय के आरो देय जाथे.

असली आफत तेन बखत सुरु होथे जब हाथी मन कोनो तरीका ले फसल मं धावा बोल देथें. गोपी सुरता करत कहिथे, “हमन कुछु नई करे सकन जब वो ह आथे, हमन पटाखा फोड़ेंन, सब्बो कुछु करेन फेर वो ह अपन मरजी जइसने चहिस तइसने करिस.”

गंगानहल्ली इलाका मं अब एक ठन अलकरहा समस्या हवय: वन विभाग के हाथी के बाड़ा ह नवदर्शनम के बनेच तीर ले आके खतम होथे, जेकर ले एक ठन अंतर बन गे हे जेन हा हाथी ला वो मन के खेत तक ले जाथे. अऊ एकरे सेती एक बछर मं खेत मं हाथी के धावा एक कोरी हबर जाथे, ये ह हरेक रतिहा होथे जेन बखत फसल लुये के लईक हो जाथे.

“बाड़ा के दूनो पार के मन मार खावत हंवय. जब तंय सुरु (हाथी बर बाड़ा) करथस,तंय रोक नई सकस.” गोपी अपन ऊँगली ला हिलावत अपन मुड़ी ला खजवाय ला लगथे.

A makeshift machan built atop a tree at Navadarshanam, to keep a lookout for elephants at night.
PHOTO • M. Palani Kumar
A bell-like contraption in the farm that can be rung from the machan; it serves as an early warning system when elephants raid at night
PHOTO • M. Palani Kumar

डेरी: रात मं हाथी के निगरानी बर नवदर्शनम के एक ठन रुख मं अलवा-जलवा मचान बनाय गे हवय। जउनि: खेत में लगे घंटी जेन ला मचान ले बजाय जा सकत हे; एकर ले सबले पहिली चेतावनी मिल जाथे जब हाथी रात मं धावा मारथे

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'मोर घरवाली मोर चेहरा घेरी बेरी देखे ला चाहत हवय'
फसल ला बचाय हाथी के निगरानी मं लगे 60 बछर के किसान हा सुनवाई मं नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल जज ला कहिथे

कतको कारन ले हाथी-मनखे के लड़ई के स्थायी समाधान के जरूरत हवय. सबले पहिली, हाथी के समस्या के पैमाना हा हाथी जइसने बड़े आय. वैश्विक स्तर मं एक शोध मं फ्रंटियर्स इन इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन (जेन हा प्रबंधन रणनीति मन के समीक्षा करथे) कहिथे, दुनिया के एशियाई और अफ्रीकी हाथी रेंज के देश के 1 अरब 20 करोड़ मन रोज के 1.25 अमरीकी डालर (भारत के  97.06 रुपिया) ले कम मं गुजारा करथें.” कोंटा मं फेंकाय ये समुदाय मं ला हाथी जइसने दीगर प्रजाति मं के संग "जमीन अऊ  संसाधन मं बर तेजी ले मुकाबला करे बर मजबूर करे जाथे.”

मानद वन्यजीव वार्डन संजीव कुमार कहिथे, भारत के 22 राज मं हाथी ले मुठभेड़ होथे जेन मं तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ अऊ असम प्रमुख आंय.

पर्यावरण, वन अऊ जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा राज्यसभा मं प्रस्तुत करेगे आधिकारिक आंकड़ा ले पता चलथे के तीन साल ले घलो कम समे मं - अप्रैल 2018 ले दिसंबर 2020 तक - 1,401 मनखे अऊ 301 हाथी मन के एकर ले मौत हो गे.

कागज मन मं किसान के नुकसान के भरपाई करे के हरेक मंशा हवय. वन, पर्यावरण अऊ जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के प्रोजेक्ट एलीफेंट डिवीजन द्वारा जारी 2017 भारत सरकार के एक ठन दस्तावेज में कहे गे हवय के अनुशंसित मुआवजा अनुमानित फसल के नुकसान के 60 फीसदी होना चाही. अऊ वो हा ये घलो कहिथे, "फेर मुआवजा फसल कीमत के 100 फीसदी के करीब हवय त किसान ला अपन फसल बचाय बर कोनो प्रोत्साहन नई मिलय."

के. कार्तिकेयानी, भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी अऊ सहायक वन संरक्षक, वन्यजीव वार्डन कार्यालय, होसुर, मोला बताथे के होसुर वन प्रभाग मं सालाना 200 हेक्टेयर ले जियादा फसल के नुकसान होथे. वो हा कहिथे,“वन विभाग ला किसान मन ले ओकर फसल मुआवजा के मांग के 800 ले 1000 तक आवेदन मिलथे। अऊ  सलाना  भुगतान 80 लाख ले 1 करोड़ के बीच होथे,” ये मं हर मनखे के मऊत बर 5 लाख लाख सामिल हवय - ये इलाका मं हर बछर हाथी के हमला मं 13 झिन मारे जाथें.

Tusker footprints on wet earth.
PHOTO • Aparna Karthikeyan
Elephant damaged bamboo plants in Navadarshanam
PHOTO • M. Palani Kumar

डेरी: ओदा भुइंया मं हाथी के पांव के चिन्हा. जउनि: नवदर्शनम मं हाथी ह बांस के रुख के नुकसान करिस

कार्तिकेयानी बताथे, "एक एकड़ बर अधिकतम मुआवजा 25,000 रुपिया हवय." "दुर्भाग्य ले एक बागवानी फसल बर ये हा बने नई ये काबर ये किसान मन ला प्रति एकड़ 70,000 रुपिया ले जियादा के नुकसान होथे.”

येला छोड़, मुआवजा के दावा बर, किसान ला कागजी कार्रवाई जमा करे ला परही, कृषि या बागवानी अधिकारी (जइसन मामला हो) ले खेत के जाँच करवाय ला होही, एकर बाद ग्राम प्रशासन अधिकारी (VAO) ले अपन जमीन के दस्तावेज के जाँच अऊ प्रमाणिकरन कराय ला होही, अऊ आखिर मं, वन रेंज अधिकारी हा मऊका जाके फोटू खींचथे. फेर तब जिला वन अधिकारी (डीएफओ) मुआवजा देय के मंजूरी देथे, फेर होइस हवय त.

खराब बात ये आय के 3 ले 5 हजार के मुआवजा बर किसान ला अगोरत रहे ला परथे कतको बखत त 3 फसल लेय के बाद मिलथे. कार्तिकेयानी कहिथे, “एकर ले बढ़िया ये आय के रिवॉल्विंग फंड के इस्तेमाल करे जाय और मामला ला तुरते निबटा देय जाय."

संजीव कुमार बताथे, ये लड़ई ला हल करे ले न सिरिफ लोगन के जिनगी अऊ किसान के फसल ला बचाय जा सकही, फेर वो मन के जिनगी सुघर होही, राज सरकार के वन विभाग हा सद्भावना घलो हासिल करे सकही.वो हा कहिथे," अभू तक ले हाथी मन के संरक्षण के बोझा कृषिविद मन बोहोय हवंय."

संजीव हा मानथे के महिना-महिना रात-रात भर जाग के फसल के रखवाली कोनो मजाक नई ये, ये हा किसान ला बांध के रख देथे. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के बईठका मं जज ले एक झिन किसान के कहे सुरता करत कहिथे, 'मोर घरवाली मोर चेहरा घेरी बेरी देखे ला चाहत हवय.' किसान के उमर 60 बछर ले जियादा हो गे हे, संजीव सुरता करथे, ओकर घरवाली ह ओकर दूसर संग सम्बन्ध के शक करत रहिस.

किसान के गुस्सा वन विभाग बर मुसीबत बन गे हवय. संजीव कुमार कहिथे, "वो मन अपन गुस्सा ला वन विभाग डहर निकालथें. वो मन दफ्तर ला तोड़ दिन, सड़क रोकिन अऊ करमचारी मन संग खराब वेवहार करिन. ये ह वन विभाग ला दुरिहा कर देथे अऊ ओ मन के काम मं आर काटथे."

Anandaramu Reddy explaining the elephants’ path from the forest to his farm in Vadra Palayam hamlet
PHOTO • M. Palani Kumar

आनंदरामु रेड्डी वाड्रापलयम मं जंगल ले अपन खेत तक के हाथी मं के रद्दा ला बतावत

मइनखे-हाथी के लड़ई के कीमत आर्थिक, परिस्थितिक अऊ मानसिक रूप ले घलो चुकाय ला परथे. कोनो कारोबार करे ला सोचव, ये ला जानत के वोला कोनो दिन खाली करे धन घटाय जा सकत हे, ये मं तोर कोनो गलती नई आय

अऊ ये सब मं ले दूसर बात ये के हाथी मन के जान के खतरा घलो हवय. ये ला देखत के 2017 के गिनती मं हाथी मन के संख्या 2,761 रहिस. हमर उपर जिम्मेदारी बाढ़ जाथे. ये हा भारत के हाथी मन के आबादी 29,964 के सिरिफ 10 फीसदी आय.

बदला, बिजली के झटका, सड़क अऊ रेल हादसा ये सब्बो मन छोटे अकन आनुवंशिक जुडाव ले दुरिहा ले जाथें. एक स्तर मं ये हा बिना समाधान वाले समस्या लागथे. सिवाय संजीव अऊ दूसर मन मूर्ति के मदद ले एला खोज लिन...

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'हमन बिजली ऊपर भरोसा करके रहे ला बिल्कुल नई चाहन, सौर उर्जा भोरोसा के काबिल नो हे, फेर हाथी मन एकर तोड़ निकल ले हावंय.'
एस.आर. संजीव कुमार, कृष्णागिरी अऊ धर्मपुरी जिला के मानद वन्यजीव वार्डन

संजीव कुमार कहिथे, कृष्णागिरी जिला के मेलागिरी मं हाथी बाड़ा के विचार दक्षिण अफ्रीका के एडो हाथी राष्ट्रीय उद्यान ला देख के आइस. मोला "रमन सुकुमार, 'भारत के हाथी आदमी' ह एकर बाबत बताईस. उहाँ वो मन बेकार परे रेल लाईन अऊ उड़नखटोला तार के उपयोग करे रहिन. अऊ जब वोमन बाड़ा लगा दिन, तब ले लड़ई  ख़त्म होगे. संजीव हा Addo उद्यान के रास्ता ला अपनाइस.

तब तक ले होसुर वन विभाग ह हाथी ला जंगल ले बहिर नई निकले अऊ खेत ले दुरिहा रखे के कतको उदिम करिस फेर वो ह सफल नई होईस. जंगल के सरहद के चारों तरफ बड़े-बड़े खंचवा बनाय गे. ओ मं पारम्परिक सौर बाड़ा, नुकीला चीज ले रोके के उदिम करे गे, इहाँ तक ले अफ्रीका ले कुछेक काँटावाला रुख मांगे गीस, फेर कऊनो काम नई आईस.

संजीव बताथे, होसुर डिवीजन के उप वन संरक्षक के रूप मं जब आईएफएस दीपक बिल्गी ला तैनात करे गे रहिस ते बखत एक सफलता मिले रहिस. बिल्गी ह ये बाबत मन ले धियान दिस, एकर सेती पइसा जुटाईस, कलेक्टर ले बात करिस, अऊ "हमन प्रयोग के तऊर ले बाड़ा लगाय के फइसला करेन."

A section of the Melagiri Elephant Fence, which is made of pre-cast, steel-reinforced concrete posts, and steel wire rope strands
PHOTO • M. Palani Kumar

मेलागिरी हाथी बाड़ा के एक हिस्सा जेन हा का कारखाना मं बने स्टील के ताकत वाला कंक्रीट अऊ लोहा तार के डोरी से बने हवय

मजेदार बात ये हवय के हाथी के ताकत कतक रथे, येकर बारे मं जियादा आंकड़ा नई ये. फेर एक हाथी के वजन कतक होथे धन जियादा मन कतक धक्का दे सकत हांवय. एकर बर मुधुमलाई मं कुमकी हाथी संग परिक्छ्न करे गे. ये मन ले एक ठन मूर्ति नांव के 5 टन के, बिना दांत वाला हाथी – जेन हा कतको के जान लेय सेती कुख्यात रहिस जब तक ले विभाग ह ओकर पुनर्वास नइ करे रहिस.ओकर बूता बाड़ा के तार के जाँच करना रहिस जेकर ले मइनखे-हाथी के लड़ई ला कम करही.

संजीव कहिथे, "तंय ओकर बीते जिनगी के अनुमान नई लगाय सकस, काबर के वो हा बने अच्छा तरीका ले सिख गे रहिस. वो हा बनेच सीधा अऊ सांत हो गे रहिस. अब मूर्ति ह रिटायर हो गे हे – मोला बताय गीस के हाथी मन के रिटायर होय के उमर 55 बछर आय–रहे खाय पिये के संग एक अच्छा जिनगी जिथें. इहाँ तक ले के ओकर भोग के बेवस्था घलो हवय. अब जंगल मं अब ओकर कोनो काम नई ये, धन वोला जंगल जाय के इजाजत नई दे जाय काबर के जवान हाथी मन संग अधिकार बर लड़ई करहीं.

मूर्ति ले ये तजुरबा होईस के कुछेक सरत सइत हाथी के जियादा ले जियादा ताकत 1,800 किलो आय, मूर्ति संग होय ये तजुरबा ले पहिली दू किलोमीटर के बाड़ा बनाय गीस, जेन हा आनंद के घर ले जियादा दुरिहा नई रहिस.

“ये कोसिस ले हमन बनेच अकन सीखेन. सिरिफ हफ्ता भर मं मोत्तई वाल के संगवारी मखाना ह येला टोर डारिस. हमन ला फेर ये ला बनाय ला परिस, जेन हा पहिली ले 3.5 गुना जियादा मजबूत हवय. तार के डोरी पहिली ले बनेच मजबूत हवय अऊ 12 टन के बोझा ला झेल सकत हवय, यानि ये डोरी ले दू ठन हाथी ल उठा सकत हन.”

संजीव कहिथे, दीगर मॉडल मन के बनिस्बत ओकर बाड़ा कभू टूटय नई. ये ह कारखाना मं बने हवय, जेन ह स्टील - के ताकत वाला कंक्रीट पोस्ट अऊ स्टील वायर रोप स्ट्रैंड ले तियार करे गे हवय. हाथी, खंबा धन तार ला तोड़ नई सकेंय। वो एकर ऊपर चढ़ सकत हे। "ये ह हमन ला समस्या वाला इलाका ला खोजे अऊ ओकर खास निदान खोजे के मऊका देथे. हमर टीम हा फसल खा के निकलत धन लहुंटत ये हाथी ला अपन कैमरा मं कैद करिन अऊ वो ला देखके ओकरे अधार ले सुधारकरिन. "कभू -कभू हाथी आथे अऊ हमन ला दिखा के चल देथे के हमन ला अऊ काम करे के जरुरत हे,” संजीव हांसथे.

बिना बिजली वाले लोहा ले बने ये बाड़ा के लागत 40 लाख ले 45 लाख एक किलोमीटर पाछू आय. जिला के कलेक्टर ह कुछेक निजी क्षेत्र के मदद के संगे संग राज सरकार के तमिलनाडु इनोवेटिव इनिशिएटिव्स योजना के तहत पहिली 2 किलोमीटर अऊ बाद मं 10 किलोमीटर बाड़ा बर खर्चा ऊठाईस.

Anandaramu walking along the elephant fence and describing how it works
PHOTO • M. Palani Kumar

आनंदरामू हाथी के बाड़ा संग चलत बतावत हवय के ये ह कइसने काम करथे

25 किलोमीटर के जेन बाड़ा लगाय गे हवय, वो मं 15 बिना बिजली वाला आय, अऊ 10 बिजली वाला (सौर ऊर्जा के संग) हाथी प्रूफ बाड़ा हवय. ये मं 10,000 वोल्ट के डीसी करंट रथे जेन ह हर सेकंड मं बनत रहिथे. संजीव बताथे, "एला छुए ले हाथी नई मरय.” बिजली करेंट के मतलब 230 वोल्ट एसी ले आय जेन हा हमर खेत अऊ घर मं उपयोग करे जाथे. एला अइसन बनाय जाथे के घर मं इस्तेमाल होवैय्या करंट के हज़ारवां हिस्सा होथे नई त ये हा वो मन ला मार डरही."

जब डीसी वोल्टेज 6,000 वोल्ट तक गिर जाथे, (जइसे अगर कउनो रुख-रई बाड़ मं गिर गे) त हाथी ह बिना तकलीफ पार कर जाथे. अऊ भूखाय मरद हाथी ये खंबा ला तोड़ देथें," संजीव मानथे," ये  समझना मुश्किल आय के ओकर दिमाग में का चलत हे.”

“हमन बिजली ऊपर पूरा भरोसा करके नई रहे ला चाहत हवन. सौर बिजली भरोसा के काबिल नई हवय.” फेर हाथी मन घलो ये बिजली के तोड़ निकाल ले हंवय. वो मन करंट कइसे नई लगय तेन ला जान डरे हवंय. वो मन रुख धन ओकर डंगाल ला बाड़ा मं डाल देथें जेकर ले सार्ट सर्किट हो जाथे. या फेर एक मरद हाथी अपन दांत ले ये ला तोड़ही, वो हा जान गे हवय के एकर ले वोला बिजली के झटका नई लगय. संजीव हांसत कहिथे," मोर करा एक ठन हाथी के फोटू हावय जेन मं वो ह छोट अकन डंगाल ले गम लगावत रहिस के बाड़ा मं बिजली हावे धन नईं "

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'मेलागिरी बाड़ा के सेती हाथी दक्षिण डहर चले गे हंवय, यह हा बढ़िया बात आय, काबर वहाँ सरलग जंगल हवय , जेन ह पूरा रद्दा... नीलगिरी तक फइले हवय.'
के. कार्तिकेयानी , भारतीय वन सेवा अधिकारी

मइनखे-हाथी के लड़ई के कीमत आर्थिक, परिस्थितिक अऊ मानसिक रूप ले घलो चुकाय ला परथे. कोनो कारोबार करे ला सोचव, ये ला जानत के वोला कोनो दिन खाली करे धन घटाय जा सकत हे, ये मं तोर कोनो गलती नई आय. कृष्णागिरी जिला मं कतको पीढ़ि ले रहत अऊ खेती करैय्या मन के ये जिनगी हवय.

संजीव कुमार बताथे के इहाँ के फसल खाय के बाद, फसल मं धावा मरैइय्या हाथी मन बनेच दुरिहा तक जाय ला सीख ले हंवय, अऊ ये हा बीते 15 बछर मं होईस हे. "आरक्षित वन मं एक या दू किलोमीटर के दूरी तय करने वाला मन अब आंध्र अऊ कर्नाटक के करीब 70 धन 80 किलोमीटर तक चले जाथें, उहाँ कुछेक महिना बिताय के बाद लहुंट जाथें." होसुर इलाका जिहां अब्बड़ अकन फसल होथे तिहां हाथी भारी दिखथें, ओ मन स्वस्थ दिखथें अऊ वो मन के कतको लईका हवंय.

जवान हाथी बहुतेच खतरा मोल लेथे. “मंय आरक्षित जंगल ला बहिर होय हाथी मन के मउत के आंकड़ा ला जुटायं अऊ मंय पांय के 60 ले 70 फीसदी मउत जवान मरद हाथी के होथे.

Mango plantation damaged by elephants in Anandaramu’s field
PHOTO • Anandaramu Reddy
Ananda with more photographs showing crops ruined by elephant raids
PHOTO • Aparna Karthikeyan

डेरी: आनंदरामू के खेत मं हाथी मन के तोड़े आम के बगीचा. जउनि: आनंदा बनेच अकन फोटू मं हाथी के करे फसल नुकसान ला देखावत हवय

आनंद मोला बताथे, ये बखत हाथी गोहड़ी मन बहुतेच कम दिखत हंवय. बस मोट्टई वाल, मखाना अऊ गिरी। व्हाट्सएप मं वो हा अब तक ले मोला हाथी के धावा के फोटू भेजत रहिथे. आम के टूटे डंगाल, कुचलआय परे केरा के रुख, कुचलआय परे फल अऊ हाथी के गोहड़ी के गोहड़ी. जब वो हा बोलते त शांत होके, कभू नराज नई होवय.

संजीव कहिथे, "अइसन एकर सेती होथे के अगर वो ला गुस्सा आगे त सरकार धन वन विभाग डहर ले चेताय जाथे. वो मन घलो जानथें के मुआवजा मं देरी होते धन आवे नहीं, एकर सेती दावा करे ला छोड़ दे हंवय. अऊ ये ह एक ठन समस्या आय, काबर के आंकड़ा सही नई दिखाय जाय.”

ये लड़ई ले कम करेके एकेच तरीका हाथी मन ला जंगल के भीतरी रखना आय. समस्या तभेच दूर होही जब वो मन के जंगल ला पहिली जइसने लहुंटा दे जाय. “ये हा समाधान के 80 फीसद आय. लैंटाना ले निजात पाना घलो जरूरी हवय."

फेर अब, 25 किलोमीटर के बाड़ा, - जेन हा हाथी - मनखे के आमना–सामना होय के 25 फीसदी आय - लड़ई मं 95 फीसदी के कमी आय हे. कार्तिकेयानी कहिथे, ''मेलागिरी के बाड़ा के सेती हाथी मन दक्षिन डहर चले गे हंवय.ये ह बढ़िया बात आय काबर के ऊहाँ सरलग जंगल हवय, जेन ह सत्यमंगलम अऊ नीलगिरी तक फइले हवय, ये ह वो मन बर बने आय."

मेलागिरी बाड़ा अधिकांश हिस्सा मं बर बाधा आय. "जिहाँ सौर ऊर्जा ले बिजली हावय, तेन हा एक मानसिक रूप ले रोक आय - ये हा वो मन ला सिरिफ छोट अकन झटका देथे, अऊ वो मन ला डेराथे. फेर हाथी हुसियार होगे हे. बाड़ा, धन बाघ के दहाड़ धन अलारम घंटी काम नई करेय.” संजीव कुमार कहिथे, तुमन सब्बो हाथी ला हर बखत बुद्धू नई बनाय सकव.

फेर हाथी हमेसा दू कदम आगू लागथे. जइसने वो मन ला पता चल गे हवय, वो मन लोगन ला सिखावत रहिन के वो मन ला भीतरी कइसे रखे जाए, वो मन छुपे कैमरा तोड़े ला सुरु कर दिन.जइसने संजीव कहिथे, मं अपन स्क्रीन मं फोटू ला देखथों: जेन मं दू हाथी बाड़ा के आगू एके संगरहिन, वो मन साजिस करत रहिन के कईसने रस्सी ला पार करे जाय अऊ रागी तक कईसने हबरे जाय...

लेखक ये रिपोर्ट बनाय बखत गोपकुमार मेनन के मदद, पहुनई अऊ महत्तम जानकारी देय बर अभार जतावत हवय

ये शोध अध्ययन बर अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के अनुसंधान अनुदान कार्यक्रम 2020 के तहत आर्थिक मदद दे गेय हवय

कवर फोटो (मोट्टई वाल): निशांत श्रीनिवासैया.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Aparna Karthikeyan

Aparna Karthikeyan is an independent journalist, author and Senior Fellow, PARI. Her non-fiction book 'Nine Rupees an Hour' documents the disappearing livelihoods of Tamil Nadu. She has written five books for children. Aparna lives in Chennai with her family and dogs.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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