अपन घर भीतरी कुर्सी मं कलेचुप बइठे गोमा राम हजारे अपन गाँव के मेन रोड ला देखत अपन बखत गुजारत हवय.

कभू-कभू, वो ह तऊन रेंगेईय्या ले गोठबात कर लेथे जेन मन ओकर ले हालचाल पूछे आथें. ये सियान के घरवाली करीबन हफ्ता भर पहिली लंबा बखत ले बीमार परे के बाद गुजर गे रहिस.

बीच चइत 2024 के संझा के 5 बजे हवय अऊ भारी घाम हवय. उत्तरी गढ़चिरौली मं अरमोरी तहसील के बांस अऊ सागौन के जंगल मं बसे ये गाँव पलसगांव पहिली ले जियादा सुन्ना हवय. गढ़चिरौली-चिमूर लोकसभा क्षेत्र मं कुछेक दिन मं वोट परही. ये सीट मं ये बखत के बीजेपी सांसद अशोक नेते एक बेर अऊ चुनाव लड़त हवय, फेर कोनो उछाह नइ ये.असल मं चिंता लगे हवय.

बीते दू महिना ले गोमा करा कऊनो काम बूता नइ ये. अक्सर ये बखत मं, 60 बछर ले जियादा उमर के ये भूमिहीन बनिहार अऊ ओकर जइसने कतको लोगन मं मऊहा बीनत धन तेंदू टोरत होहीं धन जंगल मं बांस काटत होहीं धन खेत मं बूता करत होहीं.

ये बछर नइ, गोमा कहिथे. “कऊन अपन परान ला खतरा मं डारही?”

गोमा कहिथे, “लोगन मन घरेच मं रहत हवंय.” भारी घाम हवय, घर ले निकरे नइ सकाय. कतको गाँव ला अइसने किसम के कर्फ्यू के आदत पर गे हे, काबर के गढ़चिरौली चालीस बछर ले लड़ई ले हलाकान हवय. पुलिस अऊ नक्सली मं ख़ूनी लड़ई चलत हवय. फेर ये बखत के पहुना अलग किसम के आय. वो ह जिनगी अऊ जीविका बर सीधा खतरा जन्मा देथे.

23 ठन जंगली हाथी के गोहड़ी, जेन मं जियादा माई हवंय, अपन लइका मन संग, पलसगांव के लकठा मं डेरा डाले डारे हवंय.

PHOTO • Jaideep Hardikar
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महाराष्ट्र के पलासगांव मं एक झिन भूमिहीन किसान गोमा राम हजारे (डेरी) ला ये धूपकल्ला मं अपन गाँव के लकठा मं जंगली हाथी गोहड़ी सेती अपन जीविका छोड़े ला परिस, येती लोकसभा चुनाव चलत हवय. गाँव के लोगन मन ला वोट दे ले जियादा फिकर हाथी मन ला लेके हवय. मऊहा बीने अऊ तेंदू पत्ता टोरे नइ सके सेती वो अऊ ओकर परिवार ला दू महिना के 25,000 रूपिया के हरजा होही

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डेरी: हजारे पलसगांव मं सुन्ना सड़क मं चलत.जउनि: बीच चइत मं पारा चढ़े सेती गाँव उजार पर जाथे. कुछेक घर मन मं मऊहा घाम मं सूखत हवय’ येला अपन खेत ले संकेले गे हवय. अक्सर ये बखत गाँव ह मऊहा अऊ तेंदू पत्ता ले भरे होथे. ये बछर नई ये

करीबन महिना भर ले, एक ठन हाथी गोहड़ी उत्तरी छत्तीसगढ़ ले आके रद्दा मन मं घूमत हवय, इहाँ के डोंगरी, बांस के जंगल अऊ धान फसल ला खावत हवय, जेकर सेती गाँव के लोगन मन अऊ जिला के वन अफसर मन ला चिंता मं डार दे हवय. करीबन चार बछर पहिली, ये भारीभरकम जानवर महाराष्ट्र के उत्ती विदर्भ इलाका मं खुसर गीस काबर के खदान अऊ जंगल कटे सेती वो मन के ठीहा अऊ भंडार दिग के कारिडोर ऊपर असर परे रहिस.

महाराष्ट्र के गोंदिया, गढ़चिरौली अऊ चंद्रपुर के तीन जिला अऊ छत्तीसगढ़ के बस्तर, जेन ह पहिली ‘दंडकारण्य’ के हिस्सा रहिस, मं घूमत ये हाथी छत्तीसगढ़ मं एक ठन बड़े गोहड़ी के आंय, विशेषज्ञ मन के कहना आय के ये अपन गोहड़ी ले अलग होगे हवंय अऊ ये राज मं वो मन के नवा ठीहा आय.

गढ़चिरौली जिला के दक्खिन इलाका मं कुछु प्रशिक्षित हाथी हवंय जेन ह वन विभाग ला ओकर आय जाय के काम मं मदद करथें, फेर महाराष्ट्र के उत्ती इलाका मन मं डेढ़ सदी धन ओकर ले घलो जियादा बखत बाद जंगली हाथी मन लहूंटे हवंय. बूड़ती घाट मं जंगली हाथी मन के ठीहा आम बात आय.

वन अफसर मन पलासगांव के लोगन मन ला (जेन मं जियादातर आदिवासी परिवार हवंय) कहे हवंय के ये पहुना मन के दीगर जगा जाय तक ले, वो मन अपन घरेच मं रहंय. अऊ येकरे सेती 1400 आबादी (जनगणना 2011) वाले ये गाँव अऊ विहिरगांव जइसने परोसी गाँव के भूमिहीन अऊ छोटे किसान मन ला अपन जंगल के उपज के जीविका ला छोड़े ला परे हवय.

राज के वन विभाग फसल के नुकसान के तुरते भरपाई करथे, फेर वन उपज ले होवेइय्या आमदनी के नुकसान बर कऊनो  मुआवजा नइ ये.

गोमा कहिथे, “मोर परिवार जम्मो धूपकल्ला मं मऊहा अऊ तेंदू के भरोसा मं रइथे.”

आमदनी के ये जरिया खतम हो जाय के बाद, पलासगांव सिरिफ ये आस कर सकथे के जंगली हाथी आगू चले जावंय, जेकर ले लोगन मन अपन जीविका मं लगे सकंय.

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डेरी: वन अफसर मन पलसगांव के बासिंदा मन ला अपन काम सुरु करे बर, हाथी मन के दीगर जगा चले जाय ला अगोरे ला कहे हवंय. जउनि: पलसगांव के किसान फूलचंद वाघाड़े ला बीते सीजन मं नुकसान होय रहिस. ओकर कहना आय के ओकर तीन एकड़ के खेत ला हाथी मन बरबाद कर दीन

गढ़चिरौली के मुख्य वन संरक्षक (सीसीएफ) एस रमेशकुमार कहिथे, “गोहड़ी ह बीते धूपकल्ला जइसने छत्तीसगढ़ डहर ले नइ आय रहिस. हो सकत हे येकरे सेती के गोहड़ी के एक झिन माई हाथी ह कुछेक दिन पहिली जने रहिस.

वह वो ह कहिथे, गोहड़ी मं कुछु लइका हाथी हवंय. हाथी मन मं माई के राज चलथे.

बीते बछर (2023) मं, इहिच गोहड़ी ह पलासगांव ले करीबन 33 कोस दूरिहा, गोंदिया जिला के परोसी अर्जुनी मोरगांव तहसील मं नंगल-दोह के के करीबन 11 ठन घर मं खुसर गे, जिहां के घन जंगल मं कुछू महिना तक ले डेरा डारे रहिन.

भरनोली गांव के तीर सरकारी जमीन मं काबिज लोगन मन ले एक विजय मडावी सुरता करथे, “वो रतिहा हाथी मन के मार ले एको ठन घलो कुरिया नइ बांचिस.” “वो मन आधा रतिहा मं आय रहिन,” वोला सुरता हवय.

तऊन रतिहा नांगल-दोह ला खाली करा दे गीस अऊ लोगन मन ला भरनोली के जिला परिषद स्कूल मं लाय गे रहिस, जिहां वो मन 2023 के धूपकल्ला तक ले रहिन. जब घाम के छुट्टी के बाद स्कूल खुलिस, त वो मन गाँव के बहिर के इलाका मं जंगल के जमीन के एक ठन हिस्सा ला साफ करिन अऊ अपन बर कुरिया बनाइन, बिन बिजली पानी वाले के. माईलोगन मन ला खेत मं बने  चुंवा ले पानी लाये सेती कुछेक मील दूरिहा रेंगत जाय ला परथे. फेर गाँव के सब्बो लोगन मन ला अपन खेत ला छोड़े ला परिस, जेन ला कभू छोटे झाड़ जंगल ला साफ करके खेती करत रहिन.

“हमन ला अपन घर कब मिलही?” एक झिन विस्थापित उषा होली सवाल करथे, काबर के वो ह पुनर्वास पैकेज अऊ पक्का घर के रद्दा देखत हवय.

ये तीनों जिला मं, जइसने-जइसने हाथी अपन ठीहा बदलथें, किसान मन ला फसल के नुकसान झेले ला परथे, जऊन ह कभू समस्या नइ रहिस.

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बीते बछर (2023) मं, इहिच गोहड़ी गोंदिया जिला के अर्जुनी मोरगांव तहसील मं नंगल-दोह गाँव के सब्बो बासिंदा मन के कुरिया ला बरबाद कर दीन. 11 परिवार ला परोस के गाँव भरनोली मं जंगल के जमीन के एक ठन हिस्सा मं कुरिया बनाय ला परिस. वो मन राज सरकार के पुनर्वास अऊ मुआवजा पैकेज के रद्दा देखत हवंय

उत्तरी गढ़चिरौली इलाका मं जंगली हाथी गोहड़ी मन के देखरेख के मुस्किल ला बतावत रमेश कुमार कहिथें के दक्खिन के बनिस्बत भारत के भंडार दिग मं भारी घन आबादी हवय. सबले बड़े समस्या फसल के बरबादी के आय. संझा के बखत हाथी अपन ठीहा ले बहिर निकर आथें अऊ लगे फसल ला कुचर डारथें, भलेच वो मन वोला नइ खावंय.

जंगल के वन अफसर मन करा तुरते पीछा करे अऊ पहिली खबर देवेइय्या मंडली हवय जऊन ह ड्रोन अऊ थर्मल इमेजिंग के मदद ले चौबीसों घंटा गोहड़ी उपर नजर रखत रहिथे. जब हाथी आगू जावत रहिथें त कऊनो अलहन ले बचे सेती वो मन गाँव वाले मन ला चेतावत रहिथें.

दिन बूड़त, पलसगांव मं सात एकड़ जमीन वाले किसान नितिन माने अऊ गाँव के पांच झिन के मंडली रतिहा जगे सेती हुल्ला गेंग मं सामिल हो जाथे. फारेस्ट गार्ड योगेश पंडाराम के अगुवई मं, वो मन जंगली हाथी मन के उपर नजर रखे बर जंगल भर मं किंदरत रहिथें. जंगली हाथी मन के देखरेख के विशेषज्ञ हुल्ला गैंग ला इहाँ के अफसर मन के मदद अऊ गांव के जवान लइका मन ला सिखाय बर पश्चिम बंगाल ले काम मं रखे गे हवय. नितिन कहिथे के वो मन हाथी मन के उपर नजर रखे सेती दू ठन ड्रोन हवय. हाथी मन के ठीहा के पता लगे के बाद ओकर आजू-बाजू मं घूमत रहिथें.

माना आदिवासी अऊ पलसगांव के पहली महिला सरपंच जयश्री दढ़मल कहिथे, “कुछेक गांववाले मन ला हल्ला गेंग मं सामिल करे गे हवय, जेकर ले गर हाथी गाँव मं खुसरे के कोसिस करथें, त वो वो मन वोला भगा देवंय. फेर ये ह मोर मुड़पीरा होगे हवय. लोगन मन मोर ले हाथी मन ला लेके सिकायत करथें अऊ अपन भड़ास मोर उपर निकारथें.” वो ह पूछथे, “हाथी मन बर मंय कइसने जिम्मेवार हवं?”

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डेरी: पलसगांव के जवान किसान नितिन माने, हुल्ला गेंग के हिस्सा आंय, जऊन ला वन विभाग ह ड्रोन के मदद ले जंगली हाथी मन के निगरानी करे अऊ गर गोहड़ी ह गाँव मं खुसरे के कोसिस करथे त वोला भगाय बर तैनात करे गे हवय .जउनि: वन अफसर अऊ हुल्ला गेंग के सदस्य मन के एक ठन टीम ह रतिहा मं निगरानी करे के तियारी करत हवय

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पलसगांव के सरपंच जयश्री दढ़मल अपन खेत ले मऊहा बीन के लाथे, फेर जंगली हाथी मन के डेरा डारे सेती वो ह कऊनो घलो उपज संकेले जंगल मं जाय नइ सकत हवय

समस्या ये आय के जब पलासगांव मं हालत समान्य हो जाही, तो जऊन गाँव के लकठा के जंगल मं हाथी मन डेरा डारहीं, वो मन मुस्किल मं पर जाही. वन अफसर मन के कहना आय के ये इलाका के लोगन मन ला नव तरीका जिनगी जिये अऊ जंगली हाथी मन ले निपटे ला सीखे ला परही.

जयश्री ला घलो गांववाले मन के ये बात के दुख हवय के ये बछर जंगल मं मऊहा बीने ला छोड़े ला परे हवय. वो ह कहिथे, “हाथी मन के सेती हमन तेंदू पत्ता तोरे टोरे नइ सकबो.” वो अपन कमई के अधार ले अंदाजा लगाथे के हरेक परिवार ला दू महिना मं कम से कम 25,000 रूपिया के नुकसान होही.

“पहिलेच महंगाई डोक्यावर आहे, आता हत्ती आले, का करावे आम्ही?” गोमा पूछथे. “महंगाई ले पहिले ले दम निकार दे रहिस, अब हमर करा हाथी आ गे, हमन काय करबो?”

येकर जुवाब नइ ये, सिरिफ सवालेच-सवाल हवय.

महत्तम सवाल ये नो हे के संसद मं कऊन खुसरही, फेर ये आय के जंगल ला सबले पहिली कऊन छोड़ के जाही.

(अनुसूचित जनजाति (एसटी) बर आरक्षित गढ़चिरौली-चिमुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र मं 19 अप्रैल मं होय पहिली चरण मं  71.88 फीसदी वोट परिस).

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Jaideep Hardikar

Jaideep Hardikar is a Nagpur-based journalist and writer, and a PARI core team member.

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Editor : Medha Kale

Medha Kale is based in Pune and has worked in the field of women and health. She is the Translations Editor, Marathi, at the People’s Archive of Rural India.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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